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Banaras :)

 बनारस:


बनारस के बारे में जितना लिखा जाए, जितना पढ़ा जाए और जितना महसूस किया जाए, उतना कम 


पर बनारस है क्या?

एक शहर?

एक सोच?

एहसास? 

या एक अधूरी लिखी किताब? 


लेखक दिव्य प्रकाश डूबे जी अपनी किताब में लिखते हैं की जब कुछ ना समझ आए, और सब कुछ हाथ से रेत की तरह फिसल रहा हो, उस वक़्त दो दिन की छुट्टी लेकर बनारस घूमने आइए| यहाँ आकर गंगा किनारे बस दो वक़्त सुकून से बैठ जाइए| आपको समझ आएगा की आप और आपकी हर एक विपदा से बड़ी उपर वाले की सोच है| उसकी छुपी कोई योजना है| अपना जीवन शिव जी के हाथों में सौंप दीजिए और अपने शहर वापिस आ जाइए| कठिनाइयाँ थोड़ी कम लगेंगी और मन के अंदर सुकून मिलेगा|


पर बनारस ही क्यूँ? 

बनारस एक एहसास है, जिसको महसूस तो सबने किया है, मगर आज तक कोई समझ नही पाया है | यह एहसास दिलाता है की एक संसार है जिसमे हम रहते हैं, और एक संसार है जो हमारे अंदर रहता है| की मनुष्य का जीवन और मरण सब यहीं है, सब एक रेत से शुरू होकर एक रेत में सिमट जाता है| 


बनारस याद दिलाता है, की शहर की भीड़, सुबह से शाम का दफ़्तर, हर शनिवार की महफ़िल, और किसी भी मोह माया से बड़ा है अंदर का सुकून| जिसको ढूँढने ना जाने मनुष्य कितने पहाड़ चढ़ रहा है, कितनी नदियों में डुबकी मार रहा है, जब सब कर लेता है, और फिर भी अशांत रहता है, तब ढूंढता है जवाब, और वो मिलता है भीतर|


बनारस शायद एक रास्ता है, जो आपको आपसे मिलता है| यहाँ हर गली में एक कहानी, हर कोने में आस्था, हर चौराहे पर सुकून और हर घाट में बैठे नीलकंठ हैं| यहाँ जवाब हैं, हज़ारों सालों से चलते हुए सवालों के|


या फिर बनारस एक अधूरी लिखी किताब ही हैं, जिसको हम सब थोड़ा थोड़ा पूरा कर रहे, कभी एक पूरी पंक्ति लिख कर, या कभी बस एक बिंदु का निशान छोड़ कर| पर बनारस जाकर कोई कुछ बिना लिखे वापिस नही आया है| इस शहर पर हज़ारों किताबें लिखी जा चुकी, और हज़ारों किताबों में बनारस एक मुख्य किरदार की तरह पेश किया गया है|


कहानी, कविता, अधूरा लिखा लेख, ये बनारस ले लिए एक खत, इस जो समझना है आप समझिए, इतनी आज़ादी की आपका हक़दार है, पर कभी समय मिले, दिल उदास हो, मन विचलित हो और सब अधूरा लगे तो अपने ही फोन पर बनारस की गंगा आरती देख लीजिएगा| आपके पाँच दस मिनिट से ज़्यादा नही जाएँगे, पर आपका आयेज का दिन ज़रूर बेहतर हो जाएगा |


बनारस, मेरे हिसाब से एक शहर नही, शायद अपने ही अंदर बसी एक दुनिया है, जिसमे प्रवेश तो बहुत लोगों ने किया है, लेकिन आज तक कोई निकास नही कर पाया है :) 


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